Why We Exists

वृद्धावस्था ‘बुढापा’ जीवन की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें उम्र मानव जीवन की औसत काल के समीप या उससे अधिक हो जाती है। वृद्ध लोगों को रोग लगने की अधिक सम्भावना होती है। उनकी समस्याएं भी अलग होती हैं। वृद्धावस्था एक धीरे-धीरे आने वाली अवस्था है जो कि स्वभाविक व प्राकृतिक घटना है। वृद्ध का शाब्दिक अर्थ है बढ़ा हुआ, पका हुआ, परिपक्व।

अनेक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया भर के देशों में वृद्ध लोगों की बढ़ती जनसँख्या समाज के लिए गहरी चिंता का विषय बन गया है। नवीनतम चिकित्सा अनुसंधान और अन्य कारणों से औसत आयु में वृद्धि के कारण वृद्ध जनसँख्या तेजी से बढ़ी है।

भारत में ही 2011 की जनगणना में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 10.40 करोड़ थी। 2021 में यह संख्या बढ़ कर 14.30 करोड़ हो जायेगी। 2050 तक वरिष्ठ नागरिकों की संख्या कुल आबादी का 25 % हो जायेगी। दुनिया में भारत दुसरे नंबर पर आता है, जहाँ सबसे अधिक वरिष्ठ नागरिक रहते हैं।

तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और जीवन शैली में आधुनिक बदलाव के कारण संयुक्त परिवारों में हो रही टूट से एकल परिवार अस्तित्व में आ रहे हैं। जहाँ वृद्ध व्यक्तियों के लिए कोई स्थान नहीं होता है। भारत सरकार ने इस विषय की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक नीति बनाई है। हमारे संविधान में भी वृद्ध जनों के लिए गाइडिंग प्रिंसिपल्स हैं। आर्थिक स्तर पर गरीब के लिए वृद्ध पेंशन योजना, स्वास्थ योजना तथा अन्य सुविधाएं प्रारम्भ की गई हैं परन्तु वास्तविक स्तर पर समस्या बड़ी है और समाधान अपर्याप्त है।

वृद्धावस्था में शारीरिक क्षरण के कारण बीमारीओं का शरीर पर प्रभाव अधिक होता है। आर्थिक असुरक्षा, रोगों से कष्ट और परिवारों के बीच असामांजस्य की समस्या से जूझ रहे हमारे वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामूहिक स्तर पर ऐसा मॉडल, एक आत्मनिर्भर वृद्ध इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता है जो वरिष्ठ नागरिकों को उनकी समस्याओं से निजात दिलाने में सहयोगी हो और उन्हें भावुकता के स्तर पर भी यथोचित रख-रखाव और आत्म-सम्मान दे सके।

एंकर्स अपने वरिष्ठ जनों की सेवा के लिए कृत संकल्प है। हमें आप सभी के सक्रिय सहयोग और सहभागिता की आवश्यकता है। हमें आपके बहुमूल्य अनुभव और ज्ञान की भी आवश्यकता है। आइये हम सब मिल कर अपने बड़े बुजुर्गों के जीवन को सरल सूंदर और आनंदपूर्ण बनाने का संकल्प करें और अपने महान पूर्वजों जिनमे ऋषि मुनि सम्मलित हैं, के बताये गए सामाजिक मूल्यों को पुनः स्थापित करें।

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